मेरे अल्फाज, मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ तू किसी रेल-सी गुज़रती है म…
Read moreमेरे अल्फाज, अफ़वाह है या सच है ये कोई नही बोला मैंने भी सुना है अब जाएगा तेरा डोला इन राहों के पत्थर भी मानूस थे पाँवों से पर मैंने पुकारा तो कोई भ…
Read moreख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है --------- इफ्तियार आरिफ ख़ुद …
Read moreदुष्यंत कुमार आज वीरान अपना घर देखा तो कई बार झाँक कर देखा पाँव टूटे हुए नज़र आए …
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आवाज सुनो,
मेरे अल्फाज,
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